जब जब भी वे ऐसे ही शांत बैठीं हैं तब तब हमारी पीठ दर्द से रही ऐंठी हैं। जब जब भी वे ऐसे ही शांत बैठीं हैं तब तब हमारी पीठ दर्द से रही ऐंठी हैं।
जो भी फरमाइशें हैं तुम्हारी थोड़ा रुक रुक कर फरमाओ। जो भी फरमाइशें हैं तुम्हारी थोड़ा रुक रुक कर फरमाओ।
हमने कहा -क्यों इतनी सर्दी में सताती हो रविवार के दिन भी दफ्तर खुलवाती हो हमने कहा -क्यों इतनी सर्दी में सताती हो रविवार के दिन भी दफ्तर खुलवाती हो
डरता तो किसी के बाप से भी नहीं बस श्रीमती की तर्जनी से डरता हूं । डरता तो किसी के बाप से भी नहीं बस श्रीमती की तर्जनी से डरता हूं ।
थम सा गया हूँ मैं उन लम्हों में, जब उस हूर को देख लिया था इन आंखों ने, झूम रहा था म थम सा गया हूँ मैं उन लम्हों में, जब उस हूर को देख लिया था इन आंखों ने, ...
ज़िन्दगी इस तरह, मेरी पामाल है, मेरी हर चाल पर, उसकी इक चाल है। लुट गया चैन है, नीं ज़िन्दगी इस तरह, मेरी पामाल है, मेरी हर चाल पर, उसकी इक चाल है। लुट गया...